ऑक्सीजन कंसीलर बनाम ऑक्सीजन सिलेंडर: ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर में अंतर समझ में आता है


देश में कोरोना महामारी का संकट अपने चरम पर है। पिछले दो दिनों से चार लाख संक्रमण के मामले आ रहे हैं। हर तरफ ऑक्सीजन को लेकर हाहकार मचा हुआ है। ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की मौत हो गई है। पूरी दुनिया से भारत में ऑक्सीजन भेजी जा रही है। फिर भी पूरी तरह से ऑक्सीजन की कमी की भारपी नहीं की जाकी है। देश में 1.36 करोड़ लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं लेकिन 24 लाख लोग अब भी कोरोना से भिन्न हैं। इनमें से कई अस्पताल में हैं तो कई घर पर आइसोलेशन में। इन कई लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत है। इसलिए ऑक्सीजन की डिमांड अब तक सबसे ज्यादा हो गई है। चूंकि अस्पताल को विभाजित रोगियों से भरे हुए हैं, इसलिए कई लोग घर पर ही इलाज कर रहे हैं और उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में घर पर ही कुछ लोगों ने ऑक्सीजन सिलेंडर या ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की व्यवस्था कर ली है। लेकिन ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर में क्या अंतर है। आइए इसके बारे में डॉ से विस्तार से जानते हैं-

ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर में अंतर
गुड़गांव में सीके विड़ला अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसीन के डॉ तुषार दयाल ने बताया कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर भी ऑक्सीजन सिलेंडर की तरह काम करता है। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर एक पोर्टेबल मशीन है जिससे हवा को खींचा जाता है। इसके बाद से इस हवा से नाइट्रोजन, कार्बन सहित अन्य गैसों को बाहर निकाल दिया जाता है और नजल ट्यूब या फंक्शन के जरिए शुद्ध ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया के साथ-साथ चती है।

ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बिजली से चलती है। इसलिए जब तक बिजली है ऑक्सीजन की सप्लाई अनवरत करती रहेगी जबकि ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म होने के बाद फिर से रिफिल करना होगा यानी ऑक्सीजन प्लांट पर ले जाकर सिलेंडर में फिर से ऑक्सीजन भरना होगा।

ऑक्सीजन कंसीलर बनाम ऑक्सीजन सिलेंडर: ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर में अंतर समझ में आता है

दो तरह से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर
ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर दो तरह के होते हैं। एक लगातार फ्लो वाला कंसेंट्रेटर दूसरा पल्स वाला कंसेंट्रेटर। लगातार बहाव वाले कंसेंट्रेटर को जब तक बंद नहीं किया जाता तब तक एक ही फ्लो में ऑक्सीजन की सप्लाई करता रहता है जबकि पल्स वाला कंसेंट्रेटर मरीज के ब्रीदिंग पैटर्न को समझकर जितनी जरूरत होती है, उतनी ही ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर पोर्टेबल होता है, इसलिए ऑक्सीजन सिलेंडर के मुकाबले कहीं भी ले जाने में आसानी होती है।

गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर से काम नहीं चलेगा
ड’ओक्टर कहते हैं कि निश्चित रूप से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को ले जाने-आने में आसानी से होता है लेकिन गंभीर रोगियों के लिए यह कुशल नहीं है। जो व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पहले से पीड़ित हैं और उसे यदि कोरोना हो गया है और उसे ऑक्सीजन की जरूरत है तो ऐसे रोगियों के लिए ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर काम नहीं करेगा। क्योंकि ऐसे रोगियों में कई तरह के कंप्लीकेशन होते हैं। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर से प्रति मिनट 5-10 लीटर ऑक्सीजन की सप्लाई होती है जो कि गंभीर रोगियों के लिए पर्याप्त नहीं है। उसके लिए प्रति मिनट इससे बहुत अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। डॉ दयाल बताते हैं कि जब ऑक्सीजन से पचुरेटेड 92 प्रतिशत से नीचे आ जाए तो दोनों में से किसी एक से ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू की जा सकती है।

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