गेट्स दंपति का तलाक: कैसे होगी संपत्ति का बंटवारा, क्या होगा कोई विवाद, जानिए सबकुछ


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन

द्वारा प्रकाशित: गौरव पाण्डेय
अपडेटेड थू, 06 मई 2021 12:15 AM IST

सार

बता दें कि अरबपति समाजसेवी बिल और मेलिंडा गेट्स ने मंगलवार को तलाक की घोषणा करते हुए अपनी 27 साल की शादी को तोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि हमारा अब यही मानना ​​है कि अब हम एक दंपति के रूप में साथ नहीं रह सकते हैं लेकिन अपनी संस्था में हम साथ रहते हैं।

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बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स के तलाक में उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर कोई विवाद होने की संभावना न के बराबर है। इसके पीछे का एक बड़ा कारण यह है कि दोनों के पास साझा करने के लिए बड़ी संख्या में संपुटियां हैं। दूसरा दोनों ही लोक रूप से पहले ही कह चुके हैं कि वह अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज कल में करेगा। लेकिन, उनके तलाक के विवादों में न रहने के पीछे की एक वजह यह भी हो सकती है कि दोनों के बीच कोई सेपरेशन कॉन्ट्रैक्ट (अलग होने का अनुबंध) हुआ हो।

बता दें कि वाशिंगटन में मेलिंडा गेट्स ने इस हफ्ते तलाक की अर्जी दाखिल की थी। जानकारों का कहना है कि यह तलाक को सौहार्दपूर्ण तरीके से बसारे के लिए यदि कोई अनुबंध हुआ है तो इस पर आगे बढ़ने या इसके लागू होने में तब तक कोई समस्या नहीं होगी, जब तक कोई असहमति या आपत्ति नहीं जताई जाती है। वैसे इस तरह का अनुबंध अदालत में दाखिल नहीं होता है। खासतौर पर तब तक जब तक अदालत को ऐसा नहीं लगता कि किसी एक पक्ष की अनदेखी हुई है। यानी यह स्थिति उस स्थिति में नहीं होती जब अदालत किसी कारण से यह मान ले कि अलग होते वक्त किसी एक पक्ष के लिए गलत हुआ। वैसे जानकारों का यह भी कहना है कि ऐसे अनुबंध उच्च आय वाले दंपतियों के तलाक में कम ही होते हैं, जहां संपीड़न अधिकारियों का बंटवारा काफी पेचीदा हो सकता है।

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार सेलेब्रिटी डिवोर्स लॉयर विलियम ब्रेस्लो का कहना है कि बिल और मेलिंडा गेट्स का तलाक सौ प्रति सौहार्दुल है। उन्होंने कहा कि हर ओर से यह संकेत मिल रहे हैं कि वह उसी सभ्य तरीके से तलाक के बाद भी रहेंगे, जैसे कि वह अपने वैवाहिक जीवन के दौरान रहे थे। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार, चार मई को बिल गेट्स की शुद्ध संपत्ति 145 बिलियन डॉलर की थी। ऐसे में पैसे के लिए विवाद होने की संभावना न के बराबर ही है।

बता दें कि अरबपति समाजसेवी बिल और मेलिंडा गेट्स ने मंगलवार को तलाक की घोषणा करते हुए अपनी 27 साल की शादी को तोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि हमारा अब यही मानना ​​है कि अब हम एक दंपति के रूप में साथ नहीं रह सकते हैं, लेकिन अपनी संस्था में हम साथ रहेंगे। इंटरनेट पर एक संयुक्त बयान में दोनों ने कहा, ‘काफी सोच-विचार करने और अपने संबंधों पर काम करने के बाद हमने अपनी शादी को खत्म करने का फैसला किया है।’

उन्होंने कहा कि पिछले 27 वर्षों से अधिक समय से वे एक संस्था चले रहे हैं जो दुनिया भर में लोगों को स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए काम करता है। बयान में उन्होंने कहा, ‘हमारा यही मानना ​​है कि इस मिशन में और संस्था में हम साथ काम करते रहेंगे। लेकिन जीवन के अगले पड़ाव में दंपति के रूप में हम एक साथ नहीं रह सकते हैं। दोनों ने कहा कि हम जीवन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में हम अपने परिवार के लिए निजता चाहते हैं।

शिशु के सह-संस्थापक बिल (65) और मेलिंडा (56) की मुलाकात कंपनी में ही हुई थी। मेलिंडा 1987 में ब्लॉग में एक प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर काम करता था, तभी दोनों की मुलाकात हुई थी। कुछ वर्षों तक प्रेम संबंधों में रहने के बाद दोनों ने 1994 में हवाई में विवाह कर लिया था। दंपति के तीन बच्चे हैं। संस्था ने एक बयान में कहा कि दोनों इसके सह-अध्यक्ष और न्यासी बने रहेंगे और दोनों के बीच तलाक होने की वजह से संगठन में बदलाव की कोई संभावना नहीं है।

विस्तार

बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स के तलाक में उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर कोई विवाद होने की संभावना न के बराबर है। इसके पीछे का एक बड़ा कारण यह है कि दोनों के पास साझा करने के लिए बड़ी संख्या में संपुटियां हैं। दूसरा दोनों ही लोक रूप से पहले ही कह चुके हैं कि वह अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज कल में करेगा। लेकिन, उनके तलाक के विवादों में न रहने के पीछे की एक वजह यह भी हो सकती है कि दोनों के बीच कोई सेपरेशन कॉन्ट्रैक्ट (अलग होने का अनुबंध) हुआ हो।

बता दें कि वाशिंगटन में मेलिंडा गेट्स ने इस हफ्ते तलाक की अर्जी दाखिल की थी। जानकारों का कहना है कि यह तलाक को सौहार्दपूर्ण तरीके से बसारे के लिए यदि कोई अनुबंध हुआ है तो इस पर आगे बढ़ने या इसके लागू होने में तब तक कोई समस्या नहीं होगी, जब तक कोई असहमति या आपत्ति नहीं जताई जाती है। वैसे इस तरह का अनुबंध अदालत में दाखिल नहीं होता है। खासतौर पर तब तक जब तक अदालत को ऐसा नहीं लगता कि किसी एक पक्ष की अनदेखी हुई है। यानी यह स्थिति उस स्थिति में नहीं होती जब अदालत किसी कारण से यह मान ले कि अलग होते वक्त किसी एक पक्ष के लिए गलत हुआ। वैसे जानकारों का यह भी कहना है कि ऐसे अनुबंध उच्च आय वाले दंपतियों के तलाक में कम ही होते हैं, जहां संपीड़न अधिकारियों का बंटवारा काफी पेचीदा हो सकता है।

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार सेलेब्रिटी डिवोर्स लॉयर विलियम ब्रेस्लो का कहना है कि बिल और मेलिंडा गेट्स का तलाक सौ प्रति सौहार्दुल है। उन्होंने कहा कि हर ओर से यह संकेत मिल रहे हैं कि वह उसी सभ्य तरीके से तलाक के बाद भी रहेंगे, जैसे कि वह अपने वैवाहिक जीवन के दौरान रहे थे। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार, चार मई को बिल गेट्स की शुद्ध संपत्ति 145 बिलियन डॉलर की थी। ऐसे में पैसे के लिए विवाद होने की संभावना न के बराबर ही है।

बता दें कि अरबपति समाजसेवी बिल और मेलिंडा गेट्स ने मंगलवार को तलाक की घोषणा करते हुए अपनी 27 साल की शादी को तोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि हमारा अब यही मानना ​​है कि अब हम एक दंपति के रूप में साथ नहीं रह सकते हैं, लेकिन अपनी संस्था में हम साथ रहेंगे। इंटरनेट पर एक संयुक्त बयान में दोनों ने कहा, ‘काफी सोच-विचार करने और अपने संबंधों पर काम करने के बाद हमने अपनी शादी को खत्म करने का फैसला किया है।’

उन्होंने कहा कि पिछले 27 वर्षों से अधिक समय से वे एक संस्था चले रहे हैं जो दुनिया भर में लोगों को स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए काम करता है। बयान में उन्होंने कहा, ‘हमारा यही मानना ​​है कि इस मिशन में और संस्था में हम साथ काम करते रहेंगे। लेकिन जीवन के अगले पड़ाव में दंपति के रूप में हम एक साथ नहीं रह सकते हैं। दोनों ने कहा कि हम जीवन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में हम अपने परिवार के लिए निजता चाहते हैं।

शिशु के सह-संस्थापक बिल (65) और मेलिंडा (56) की मुलाकात कंपनी में ही हुई थी। मेलिंडा 1987 में ब्लॉग में एक प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर काम करता था, तभी दोनों की मुलाकात हुई थी। कुछ वर्षों तक प्रेम संबंधों में रहने के बाद दोनों ने 1994 में हवाई में विवाह कर लिया था। दंपति के तीन बच्चे हैं। संस्था ने एक बयान में कहा कि दोनों इसके सह-अध्यक्ष और न्यासी बने रहेंगे और दोनों के बीच तलाक होने की वजह से संगठन में बदलाव की कोई संभावना नहीं है।





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