अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
अपडेटेड मैट, 12 मई 2021 05:24 पूर्वाह्न IST
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों को भी दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ने की मांग तेज हो गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल, प्रशिक्षण कमेटी और वर्किंग कमेटी ने कार्यवाहक कुलपति प्रो। पीसी जोशी को इस मामले में पत्र लिखा गया है। काउंसिल और कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों का मानना है कि महामारी के इस मुश्किल वक्त में एडहॉक शिक्षकों के परिवारों की मदद होनी चाहिए। कोरोना के कारण डीयू के लगभग 25 से अधिक शिक्षक और कई कर्मियों का निधन हो चुका है।
डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य व प्रोफेसर राजेश झा के मुताबिक, एडहॉक शिक्षक भी इसी विश्वविद्यालय का हिस्सा हैं और 10-10 साल से सेवाएं दे रहे हैं। इसीलिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोकमा दास की ओर से कुलपति प्रो। पीसी जोशी को पत्र लिखा गया है। हमारी मांग है कि एडहॉक शिक्षकों को भी दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा अन्य शिक्षकों को इसके तहत मिलने वाले सभी लाभ भी जारी होने चाहिए।
फंड की राशि 30 लाख करने का भी प्रस्ताव:
प्रो। झा के मुताबिक, डीयू टीचर वेलफेयर फंड में अभी 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीड़ित परिवार को मिलती है। हालांकि हमारी मांग है कि इस धनराशि को 30 लाख रुपये कर देना चाहिए। दरअसल 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीड़ित परिवार को देने का प्रस्ताव बहुत पुराना है। मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें बदलाव की जरूरत है।
पीएम ने भी नौकरी से न हटाने का किया था अनुरोध:
प्रो। झा के मुताबिक, कोरोना महामारी की पहली लहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी और निजी संस्थानों को ऐसे मुश्किल वक्त में नौकरी से न निकालने का अनुरोध किया था। हालांकि डीयू के विवेकानंद कॉलेज ने 12 एडहॉक सदस्यों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि 5 शिक्षकों के परिवार कोरोना क्षमताओं हैं। इस मामले में कुलपति प्रो। पीसी जोशी और दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी हस्तक्षेपल की मांग की गई है। यह शिक्षक वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अचानक सेवाएं समाप्त करने की तैयारी हो गई हैं।
विस्तार
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों को भी दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ने की मांग तेज हो गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल, प्रशिक्षण कमेटी और वर्किंग कमेटी ने कार्यवाहक कुलपति प्रो। पीसी जोशी को इस मामले में पत्र लिखा गया है। काउंसिल और कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों का मानना है कि महामारी के इस मुश्किल वक्त में एडहॉक शिक्षकों के परिवारों की मदद होनी चाहिए। कोरोना के कारण डीयू के लगभग 25 से अधिक शिक्षक और कई कर्मियों का निधन हो चुका है।
डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य व प्रोफेसर राजेश झा के मुताबिक, एडहॉक शिक्षक भी इसी विश्वविद्यालय का हिस्सा हैं और 10-10 साल से सेवाएं दे रहे हैं। इसीलिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोकमा दास की ओर से कुलपति प्रो। पीसी जोशी को पत्र लिखा गया है। हमारी मांग है कि एडहॉक शिक्षकों को भी दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा अन्य शिक्षकों को इसके तहत मिलने वाले सभी लाभ भी जारी होने चाहिए।
फंड की राशि 30 लाख करने का भी प्रस्ताव:
प्रो। झा के मुताबिक, डीयू टीचर वेलफेयर फंड में अभी 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीड़ित परिवार को मिलती है। हालांकि हमारी मांग है कि इस धनराशि को 30 लाख रुपये कर देना चाहिए। दरअसल 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीड़ित परिवार को देने का प्रस्ताव बहुत पुराना है। मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें बदलाव की जरूरत है।
पीएम ने भी नौकरी से न हटाने का किया था अनुरोध:
प्रो। झा के मुताबिक, कोरोना महामारी की पहली लहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी और निजी संस्थानों को ऐसे मुश्किल वक्त में नौकरी से न निकालने का अनुरोध किया था। हालांकि डीयू के विवेकानंद कॉलेज ने 12 एडहॉक सदस्यों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि 5 शिक्षकों के परिवार कोरोना क्षमताओं हैं। इस मामले में कुलपति प्रो। पीसी जोशी और दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी हस्तक्षेपल की मांग की गई है। यह शिक्षक वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अचानक सेवाएं समाप्त करने की तैयारी हो गई हैं।
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