लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होता
बस एक माँ है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती
कवि मुनव्वर राना की इन पक्तियों में माँ शब्द का पूरा सार ही निमित है। महज़ इस शब्द में ही हर किसी की तो दुनिया समाई है। माँ… ..ये शब्द कहने से ही सबसे बड़ी पूजा हो जाती है। और सालता भगवान का आशीर्वाद है। यूं तो मां से प्यार जाहिर करने के लिए किसी खास वक्त की जरूरत नहीं होती, लेकिन फिर भी हर साल एक दिन मां के लिए मुकर्रर है, जिसे मदर्स डे कहा जाता है। इस बार ये दिन 9 मई को है।
क्यों और कब से शुरू हुआ ये परंपरा
ऐसा माना जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वे भी वर्ष 1912 में जब एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्ता ने अपनी मां के निधन के बाद इस दिन को मनाने की शुरुआत की। खास बात ये है कि पूरी दुनिया में मदर्स डे की तारीख को लेकर एक राय नहीं है। भारत में इसे मई के दूसरे संडे के दिन मनाया जाता है जो इस बार 9 मई को होगा। तो वहीं बोलीविया में इसे 27 मई को मनाया जाता है। आज़ादी की लड़ाई में भाग ले रहे बोलीविया की महिलाओं की हत्या स्पेन की सेना ने इसी तारीख को की थी जिसके कारण उसी दिन को मदर्स डे मनाया जाता है।
माँ के प्रति ज़ाहिर करें प्यार
मां का प्यार सागर से गहरा और आसमान से ऊंचा होता है जिसने मापना, तौलना मुमकिन नहीं। हम खुशनसीब हैं कि हमें वह प्यार मिल रहा है। ऐसे में मां के प्रति अपनी भावनाओं को छिपाने की बजाय खुलकर बताने का ही दिन है मदर्स डे। तो इस भाग में, आपाधापी में दो बात हम कहते हैं भूल जाओ जाते हैं या कहने से हिचकते हैं। तो इस मदर्स डे आप भी मां के लिए कर कृपया खुलकर अपने प्यार का इज़हार..क्योंकि करेंगे
जब कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
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