वास्तुशात्र: ड्रेनेज सिस्टम में डिफ़ॉल्ट से हो सकते हैं बीमार, निर्माण में रखें इन बातों का ध्यान


ड्रेनेज सिस्टम को बनाते समय लोग वास्तुशास्त्र का ध्यान कम रखते हैं। वे टॉयलेट और वाशरूम की दिशा पर तो विचार करते हैं। ड्रेनेज सिस्टम की अनदेखी कर देते हैं। इससे घर में छिपे हुए अवरोधों में वृद्धि होने लगती है।

ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था पूर्व दिशा में नहीं करनी चाहिए। शेष तीन दिशाओं दक्षिण पश्चिम और उत्तर में इसे बनाया जाना चाहिए। ड्रेनेज सिस्टम ईशान कोण, आग्नेय कोण, नर्क्त्य कोण और वायव कोण में भी नहीं होना चाहिए। अर्थात् प्रमुख चारों दिशाओं के मिलने से बनी हुई दिशाओं में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होना चाहिए। ड्रेनेज सिस्टम सिस्टम का संबंध राहू और केतु से होता है।

गलत दिशा का ड्रेनेज सिस्टम घर के सदस्यों के चंद्रमा को दोषपूर्ण बनाता है। इससे लोगों का मनोबल और निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। घर में संक्रामक रोगों की आशंका बढ़ती जा रही है। एकल घरों की अपेक्षा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में ड्रेनेज सिस्टम में डिफ़ॉल्ट बड़े नकारात्मक परिणाम को बढ़ाती है। कारण, इन भवनों का ड्रेनेज सिस्टम बडे़ स्तर पर कार्य करता है।

ड्रेनेज सिस्टम के दोषों के कारण घर में रहने वालों को पेट संबंधी रोग बढ़ सकते हैं। उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात् ईशान कोण में ड्रेनेज सिस्टम धर्म अध्यात्म और शैक्षिक गतिविधियों मंे कमी लाता है। आग्नेय कोण में ड्रेनेज सिस्टम होने से घर में कीट प्रकोप बढ़ता है। रहवासी तापमान संबंधी रोग जैसे वायरल फीवर आदि से ग्रस्त रहते हैं। नरेक्त्य कोण में ड्रेनेज सिस्टम घर में अस्थिरता लाता है। घर मालिक को घर में संदेश में अड़चनें आते हैं। वायवीय कोण में ड्रेनेज सिस्टम का दोष कैश फ्लो को गड़बड़ाता है। मेहमानों का आगमन घटता है। स्वभाव चिड़चिड़ा होता है।





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