कोरोना का असर: अप्रैल में 22 प्रतिशत कर्जदार बैंकों की ईएमआई संभव नहीं थी


बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: कुलदीप सिंह
Updated Sat, 08 मई 2021 06:54 AM IST

सांकेतिक चित्र
– फोटो: अमर उजाला

ख़बर सुनना

महामारी की दूसरी लहर कर्जदार को किस बैंकिंग क्षेत्र की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। निजी और सरकारी बैंकों की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में उनके 22 फ़ीसदी खुदरा कर्जधारको ने एमआई का भुगतान नहीं किया है। ग्राहक अगर दो और उस और डिफॉल्ट करते हैं तो बड़ी मात्रा में कर्ज की राशि एनपीए में चली जाएगी।

90 दिन ईएमआई न मिलने पर एनपीए हो जाता है
आरबीआई की दो दिन पहले घोषित मोरेटोरियम योजना का लाभ उन्हीं देनदारों और व्यापारियों को मिलेगा जिन्होंने न तो पिछले साल इसका लाभ लिया था और न ही कोई डिफॉल्ट किया है। बैंकिंग नियमों के मुताबिक 90 दिन तक ईएमआई न देने पर कर्ज को नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित कर दिया जाता है।]बैंकों की कर्ज वसूली पर इसलिए भी असर पड़ा है। क्योंकि दूसरी लहर में कई बैंक कर्मचारी खुश हो गए। साथ ही कई शहरों में लॉकडाउन की वजह से लोन विभाग का काम ठप हो गया है।

डूब जाएगा उत्पत्ति और वृद्धि बैलेंस शीट होगी
बैंक अधिकारियों का कहना है कि इस बार ज्यादातर बैंक 3.5 से 4 प्रति मार्जिन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में 20-22 प्रति ऋण डूबने से ब्याज तो होगा ही मूलधन का भी नुकसान होगा और बैलेंस शीट बाधित होगी। रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों ज़ारी रिपोर्ट में कहा था कि सितंबर 2021 तक बैंकों का एनपीए 13 प्रतिशत को पार कर सकता है, जबकि कुछ रिपोर्ट में इसके 18 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है।

पिछले साल के लाभार्थियों को भी मिले मटोरोरम का लाभ
बैंकों ने आरबीआई से अनुरोध किया है कि वह बैंकों को बचाने से बचाने के लिए मटोरोरियम की शर्तों में सुधार करें और पिछले साल के लाभार्थियों को भी शामिल करने की इजाजत दें। एक बैंकर ने कहा, जो लोग पिछले साल लॉकडाउन की वजह से किस्त भरने में असमर्थ थे वे बिना किसी आय के इस बार भी कहां से पैसे दे पाएंगे? दूसरी ओर एनपीए घोषित होने के बाद ग्राहक का सिबिल भी खराब हो जाएगा और उसे दोबारा कर्ज नहीं मिलेगा। इससे आर्थिक गतिविधियों में धीमी गति से गिरावट आ सकती है और बैंकों की कमाई पर भी असर पड़ेगा।

विस्तार

महामारी की दूसरी लहर कर्जदार को किस बैंकिंग क्षेत्र की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। निजी और सरकारी बैंकों की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में उनके 22 फ़ीसदी खुदरा कर्जधारको ने एमआई का भुगतान नहीं किया है। ग्राहक यदि दो और उस और डिफॉल्ट करते हैं तो बड़ी मात्रा में कर्ज की राशि एनपीए में चली जाएगी।

90 दिन ईएमआई न मिलने पर एनपीए हो जाता है

आरबीआई की दो दिन पहले घोषित मटोरियम योजना का लाभ ने उसी कर्जदारों और व्यापारियों को मिलेगा जिन्होंने न तो पिछले साल इसका लाभ लिया था और न ही कोई भी नुकसान हुआ है। बैंकिंग नियमों के मुताबिक 90 दिन तक ईएमआई न देने पर कर्ज को नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित कर दिया जाता है।]बैंकों की कर्ज वसूली पर इसलिए भी असर पड़ा है। क्योंकि दूसरी लहर में कई बैंक कर्मचारी खुश हो गए। साथ ही कई शहरों में लॉकडाउन की वजह से लोन विभाग का काम ठप हो गया है।

डूब जाएगा उत्पत्ति और वृद्धि बैलेंस शीट होगी

बैंक अधिकारियों का कहना है कि इस बार ज्यादातर बैंक 3.5 से 4 प्रति मार्जिन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में 20-22 प्रति ऋण डूबने से ब्याज तो होगा ही मूलधन का भी नुकसान होगा और बैलेंस शीट बाधित होगी। रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों ज़ारी रिपोर्ट में कहा था कि सितंबर 2021 तक बैंकों का एनपीए 13 प्रतिशत को पार कर सकता है, जबकि कुछ रिपोर्ट में इसके 18 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है।

पिछले साल के लाभार्थियों को भी मिले मटोरोरम का लाभ

बैंकों ने आरबीआई से अनुरोध किया है कि वह बैंकों को बचाने से बचाने के लिए मटोरोरियम की शर्तों में सुधार करें और पिछले साल के लाभार्थियों को भी शामिल करने की इजाजत दें। एक बैंकर ने कहा, जो लोग पिछले साल लॉकडाउन की वजह से किस्त भरने में असमर्थ थे वे बिना किसी आय के इस बार भी कहां से पैसे दे पाएंगे? दूसरी ओर एनपीए घोषित होने के बाद ग्राहक का सिबिल भी खराब हो जाएगा और उसे दोबारा कर्ज नहीं मिलेगा। इससे आर्थिक गतिविधियों में धीमी गति से गिरावट आ सकती है और बैंकों की कमाई पर भी असर पड़ेगा।





Source link

Tags: ईएमआई, ऋण, ऋण ग्राहक, ऋण व्यक्ति, एनपीए, कोरोना वेव २, कोरोनावाइरस, नागरिक बैंक, बिजनेस न्यूज़ हिंदी में, बिजनेस हिंदी न्यूज़, बैंक, बैंक ईएमआई, सरकारी बैंक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: